अगले कुछ दिनों में और ज्यादा सावधानी जरूरी, आपदा बचाव व राहत को लेकर सीएम ने दिल्ली से की वर्चुअल मीटिंग

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उदंकार न्यूज
दिल्ली/देहरादून।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने शनिवार को दिल्ली से वर्चुअल मीटिंग के जरिये प्रदेश के आपदा प्रभावित जिलों में राहत व बचाव कार्यों की समीक्षा की। उन्होंने शासन के उच्चाधिकारियों और प्रभावित जिलों के जिलाधिकारियों से राहत व बचाव कार्यों की जानकारी हासिल की और जरूरी निर्देश दिए। उन्होंने राज्य में अगले कुछ दिनों के लिए मौसम विभाग के अलर्ट को देखते हुए विशेष सतर्कता बरतने के निर्देश दिए।
उन्होंने जिलाधिकारियों से स्पष्ट शब्दों में कहा कि राहत व बचाव कार्यों को और प्रभावी बनाने के लिए उन्हें शासन स्तर पर जिस भी तरह की सहायता चाहिए, वे उसे बेहिचक बताएं। उन्हें हर संभव सहायता उपलब्ध कराई जाएगी।
मुख्यमंत्री ने उत्तराखंड आपदा परिचालन केंद्र में उपस्थित शासन के उच्चाधिकारियों और जिलों में उपस्थिति जिलाधिकारियों से प्रभावित इलाकों की विस्तृत जानकारी प्राप्त की। उन्होंने कहा कि नदी-नालों के किनारों पर किसी भी तरह का अतिक्रमण नहीं होना चाहिए। उन्होंने सभी विभागों के आपसी तालमेल पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि आपदा पर किसी का जोर नहीं है, लेकिन सूचना मिलने पर जिस तरह से जिलों में टीमें तुरंत ग्राउंड जीरो पर पहुंच रही हैं, वह सराहनीय है।
उत्तरकाशी के स्यानाचट्टी क्षेत्र की चर्चा करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि आरबीएम के कारण वहां एक बार फिर नदी के जलस्तर में वृद्धि हुई है। इसलिए यह आवश्यक है कि नदी के किनारे से आरबीएम को निकालकर अन्यत्र कहीं सुरक्षित स्थान में डंप किया जाए। आरबीएम यदि नदी के किनारे रहेगा तो बारिश होने पर पानी के साथ पुनः नदी में अवरोध उत्पन्न हो सकता है और मुश्किलें बढ़ सकती हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि चार धाम यात्रा का दूसरा चरण बारिश सितंबर से शुरू होना है। बारिश कम होने के बाद चार धाम यात्रियों की संख्या में वृद्धि होगी। साथ ही त्योहारों का मौसम भी आ रहा है। इसलिए लोग आवाजाही करेंगे। इसे देखते हुए क्षतिग्रस्त सड़कों को जल्द से जल्द ठीक करना आवश्यक है। उन्होंने सचिव लोक निर्माण विभाग को निर्देश दिए की सड़कों की मरम्मत हेतु जो भी औपचारिकताएं तथा टेंडर इत्यादि की प्रक्रिया है, उन्हें तुरंत पूरा कर लिया जाए।
मुख्यमंत्री ने उत्तरकाशी, रुद्रप्रयाग, बागेश्वर तथा टिहरी जनपद में विगत दिवस घटित आपदा में क्षति की जानकारी ली। उन्होंने जल्द से जल्द अवरुद्ध सड़कों को खोलने, पानी तथा विद्युत आपूर्ति बहाल करने के लिए सभी आवश्यक कदम उठाने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि यदि सरकार या शासन के स्तर पर जनपदों को किसी भी प्रकार की सहयोग की आवश्यकता है तो वह तुरंत मुख्य सचिव तथा सचिव
आपदा प्रबंधन के संज्ञान में इसे लेकर आएं। उन्होंने सचिव आपदा प्रबंधन एवं पुनर्वास को निर्देश दिए कि वे जनपदों से जो भी डिमांड आ रही है, उस पर तुरंत कार्रवाई करते हुए जनपदों को पैसा रिलीज कर दें।
मुख्यमंत्री ने नदी नालों के किनारे रहने वाले लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि नदियों के जल स्तर पर लगातार निगरानी रखी जाए और यदि नदी के आसपास रहने वाले लोगों की सुरक्षा को खतरा हो तो उन्हें तुरंत सुरक्षित स्थानों में शिफ्ट किया जाए। उन्होंने नदी-नालों के किनारों पर कोई निर्माण या अतिक्रमण न होने दिया जाए। उन्होंने इस संबंध में सभी जिलाधिकारियों को विस्तृत सर्वे कराने के निर्देश दिए। विगत दिवस घटित आपदा में घायल पशुओं के उपचार के लिए पशुपालन विभाग को सभी गांव में डॉक्टरों की टीम भेजने के निर्देश दिए।
मुख्यमंत्री ने राज्य में स्थित सभी बांधों में सिंचाई विभाग के एक-एक अधिकारी की पूरे समय तैनाती के निर्देश भी जारी किए। उन्होंने कहा कि ये सुनिश्चित किया जाए कि किसी भी बांध से यदि पानी छोड़ा जाता है, तो उसकी पूर्व सूचना जिला प्रशासन को कर दी जाए। ताकि जान-माल की सुरक्षा के लिए समय रहते इंतजाम कर लिए जाएं।
मीटिंग में राज्य आपदा परिचालन केंद्र में मुख्य सचिव आनंद वर्धन, सचिव गृह शैलेश बगौली, डीजीपी दीपम सेठ, अपर मुख्य कार्यकारी अधिकारी प्रशासन आनंद स्वरूप, अपर मुख्य कार्यकारी अधिकारी क्रियान्वयन डीआईजी राजकुमार नेगी, संयुक्त मुख्य कार्यकारी अधिकारी मोहम्मद ओबेदुल्ला अंसारी, डॉ बिमलेश जोशी आदि मौजूद रहे। आयुक्त गढ़वाल विनय शंकर पांडे, कुमाऊं दीपक रावत, सचिव आपदा प्रबंधन एवं पुनर्वास विनोद कुमार सुमन, सचिन लोनिवि पंकज पांडे के साथ ही जिलों से जिलाधिकारी तथा पुलिस अधीक्षकों ने ऑनलाइन प्रतिभाग किया।

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