फ्योंली फिल्म, जिसके संगीत को पांच सितारों ने कर दिया अमर

उदंकार न्यूज
-उत्तराखंड की कई फिल्मों में आपने बॉलीवुड के नामचीन गायकों की आवाज सुनी होगी। मगर क्या आप जानते हैं कि उत्तराखंड की ऐसी एक फिल्म भी है, जिसमें बॉलीवुड के दो-तीन नहीं, बल्कि पांच-पांच सितारों ने अपनी आवाज का जादू बिखेरा है। जी हां, हम उर्मि नेगी की फ्योंली फिल्म की ही बात कर रहे हैं, जिसमेें कुमार सानु, उदित नारायण, सुरेश वाडेकर, कविता कृष्णामूर्ति और अनुपमा देशपांडे जैसी मशहूर हस्तियों ने पार्श्व गायन किया है। उत्तराखंडी सिनेमा के इतिहास में ऐसी कोई फिल्म याद नहीं आती, जिसमें बॉलीवुड के पांच बडे़ गायकों ने पार्श्व गायन किया हो।
उत्तराखंड के 40 वर्ष के सिनेमाई इतिहास में फ्योंली के बाद कौथिग ऐसी फिल्म नजर आती है, जिसमें बॉलीवुड गायकों की अच्छी खासी उपस्थिति रही है। इसमें चार बॉलीवुड गायकों ने पार्श्व गायन किया है। ताछुमा-ताछुमा गीत में सुरेश वाडेकर की आवाज को कौन भूल सकता है। इसके अलावा, इसी फिल्म के लिए सुषमा श्रेष्ठ पूर्णिमा के साथ गाया उनका गाना अपणी तौं सरम्याली आंख्यूं प्रेम के ऐसे रंग बिखेरता है, कि हर कोई इन रंगों से रंगीन नजर आता है। इसी फिल्म में अनुराधा पौंडवाल का ब्यूखनी कू घाम तो नायिका के मन की पीड़ा की ऐसी सशक्त आवाज है, कि तारीफ में कुछ भी कहना कम है। अनुपमा देशपांडे ने कौथिग में संतोष खेतवाल के साथ युगल गीत कौथिगेरू न गाया है।
वर्ष 1993 में अपनी फिल्म फ्योेंली के लिए निर्माता निर्देशक और अभिनेत्री उर्मि नेगी पांच बडे़ गायकों को साइन करने की वजह हमारे यू ट्यूब चैनल धुन पहाड़ की से बात करते हुए स्पष्ट की। उर्मि ने बताया-वह यह चाहती थीं कि बडे़ गायक गढ़वाली में गाने गाए, तो इससे उत्तराखंड, हमारी बोली भाषा को और बडे़ स्तर पर पहचान मिलने का रास्ता खुलेगा। कुमार सानु को छोड़कर फ्योंली में गाने वाले अन्य चार कलाकार पहले भी उत्तराखंडी फिल्मों में गा चुके थे। उदित नारायण का नाता तो उत्तराखंडी सिनेमा से सबसे पुराना रहा, क्योंकि उन्होंने पहाड़ की पहली फिल्म जग्वाल में भी गाने गाए थे। इसके बाद प्यारू रूमाल, बंटवारू में भी उन्होंने पार्श्व गायन किया था। शास्त्रीय आवाज वाले सुरेश वाडेकर के कौथिग में गाए गाने खूब लोकप्रिय हुए। कविता कृष्णामूर्ति गढ़वाली की दूसरी फिल्म कबि सुख कबि दुख में पार्श्व गायन कर चुकी थीं, जबकि अनुपमा देशपांडे का संबंध कौथिग फिल्म से रहा
दरअसल, उर्मि नेगी भले ही नामचीन गायको को अपनी फिल्म में गंवाना चाहती थीं, लेकिन यह संभव हो पाया संगीतकार पंडित किशोर की वजह से। पंडित किशोर का लगभग सभी गायकों से परिचय था। उर्मि नेगी के साथ उन्होंने इनसे अप्रोच की और फिर उन्हें साइन कर लिया। उर्मि नेगी इस मदद के लिए पंडित किशोर के प्रति हमेशा अहसानमंद नजर आई हैं। बकौल-उर्मि नेगी, फिल्म के लिए संगीत देने का काम भी उन्होंने आधी फीस लेकर किया था।