बद्रीनाथ जी का गाना था, इसलिए रवींद्र जैन ने कहा-हां

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उदंकार न्यूज
-देश-दुनिया के श्रद्धालुओं को श्री बद्रीनाथ धाम का आकर्षण हमेशा अपनी ओर खींचता रहा है। फिर चाहे, वो खास हो या आम आदमी। बॉलीवुड के नामचीन कलाकारों को जब भी श्री बद्रीनाथ धाम से किसी रूप में जुड़ने का मौका मिला, उन्होंने इसेे सहर्ष स्वीकार कर लिया। मशहूर संगीतकार, गीतकार और गायक स्वर्गीय रवींद्र जैन के साथ भी ऐसा ही एक किस्सा जुड़ा है, जो कि उत्तराखंडी फिल्म हिमालय के आंचल में उनके संगीत से संबंधित है। इस फिल्म में काम करना उन्होंने इसीलिए स्वीकार किया था, क्योंकि इसमें एक गाना श्री बद्रीनाथ धाम से संबंधित था और फिल्म की शूटिंग भी बद्रीनाथ धाम के आस-पास के चमोली जिले के इलाके में होनी थ
दरअसल, इस फिल्म के गीत-संगीत के लिए निर्माता विशेश्वर दत्त नौटियाल और निर्देशक तरन तारण धस्माना बॉलीवुड के ऐसे किसी संगीतकार को लेना चाहते थे, जो पहाड़ी लोक संगीत की गहरी समझ रखता हो और लाजवाब हो। उनकी तलाश रवींद्र जैन पर आकर खत्म हुई। रवींद्र जैन ने फिल्म के परिवेश के हिसाब से छह गाने तैयार किए, जिसमें मैने प्रीत केे सपने संजोए और सुन मेरी बात जैसे गाने शामिल थे। एक गाना बद्रीनाथ धाम पर केंद्रित था। सुरेश वाडेकर, हेमलता और कविता कृष्णामूर्ति ने इन गानों को अपनी आवाज दी थी।
रवींद्र जैन के इस फिल्म को साइन करने की एक वजह पहाड़ी गीत-संगीत के प्रति उनका प्रेम तो रहा ही, लेकिन उससे बड़ी वजह श्री बद्रीनाथ धाम पर उनकी गहरी आस्था थी। फिल्म के हीरो रहे मुकेेेश धस्माना के अनुसार, फिल्म के निर्माता निर्देशक की ओर से उन्हें यह जिम्मेदारी दी गई थी कि वे रवींद्र जैन को फिल्म के गीत-संगीत के लिए तैयार करें। रवींद्र जैन से उन्होंने बात की और उन्हें बताया कि फिल्म में श्री बद्रीनाथ धाम पर केंद्रित एक गाना भी तैयार किया जाना है। रवींद्र जैन को यह सुनकर खुशी हुई और वह झट से गीत-संगीत के लिए तैयार हो गए।
रवींद्र जैन ने इस फिल्म के गीत-संगीत को उत्तराखंड का गहरा टच देने के लिए खूब मेहनत की थी। इस क्रम में उन्होंने उत्तराखंड के प्रमुख पारंरिक वाद्य यंत्रों की जानकारी हासिल की और फिर मस्कबाज, ढोल-दमौ और मोरछंग का गानों में बेहतरीन इस्तेमाल किया। धस्माना के अनुसार, इस फिल्म के गानों की रिकार्डिंग के दौरान कई मर्तबा उन्हें रवींद्र जैन के साथ चर्चा करने का मौका मिला। पहाड़ के प्रमुख वाद्य यंत्रों के बारे में वह पहले से भी काफी कुछ जानते थे, लेकिन बहुत कुछ बातें उन्हें बाद में पता चलीं। रवींद्र जैन ने इस फिल्म के गानों में पहाड़ के लोक संगीत के रंगों को इस तरह से उतार दिया, जैसे वह न जाने कब से इन रंगों से वाकिफ रहे हों। रवींद्र जैन और हिमालय के आंचल से जुड़ी इस बात पर केंद्रित वीडियो धुन पहाड़ की यू ट्यूब चैनल पर उपलब्ध है। संपूर्ण जानकारी के लिए आप इसे वहां देख सकते हैं।

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