रैबार का गाना रिकार्ड कराते वक्त किस शब्द पर असहज हुईं लता जी

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विपिन बनियाल
-यह वर्ष 1988 की बात है। रैबार फिल्म के मन भरमैगे गीत की रिहर्सल चल रही थी। लता जी को गढ़वाली का एक शब्द असहज कर रहा था-पोतला। गीत की लाइन थी-भौंरा पौतला फूल छोड़िकी, चखुला अपणा घोर छोड़िकी। दरअसल, रिहर्सल की शुरूआत में ही संगीतकार कुंवर बावला ने लता जी को बता दिया था कि गढ़वाली में ल शब्द को एक खास तरीके से उच्चारित किया जाता है। हालांकि थोड़ी सी रिहर्सल के बाद लता जी इस शब्द पर सहज हो गईं। गीतकार देवी प्रसाद सेमवाल के अनुसार-पहले उन्होंने इस गाने में बंसुली शब्द लिखा था, लेकिन लता जी की सहूलियत को देखते हुए बाद में इसे बांसुरी कर दिया गया। रैबार फिल्म का यह गीत भले ही वर्ष 1988 में रिकार्ड हो गया था, लेकिन फिल्म दो वर्ष बाद 1990 में रिलीज हुई और यह गाना उत्तराखंडी सिनेमा के लिए लता जी की अनमोल धरोहर बन गया। 28 सितंबर को लता जी का जन्मदिन है। उन्हें भावपूर्ण श्रद्धांजलि।

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