सौं और आस, प्रेम-माया की सलीकेदार पेशकश, उत्तराखंडी संगीत का नया अंदाज, मिठास से समझौता नहीं

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विपिन बनियाल
-करीब एक साल पहले आया था यह उत्तराखंडी गीत-सौं खेकी बोल मेरी। अब हाल ही में एक और गीत रिलीज हुआ है-आस त्वे मिलणे की। इन दोनों गानों में कई समानताएं हैं। मयालु गीत-संगीत, मयालु पहाड़, डांडी कांठी। सुंदर गायिकी और बेहद सलीके से प्रेम-माया की छुंई बथ। एक और समानता है। श्रद्धा कुहुप्रिया की दोनों ही गानों में दमदार उपस्थिति है। इन सबके बावजूद, कुछ वजह ऐसी भी हैं, जो दोनों गीतों को अलग करती है, लेकिन उन्हें देखने-सुनने से जो आनंद की अनुभूति होती है, उसका अहसास एक जैसा है। जिनकी भी प्यार-माया के सलीकेदार गीत संगीत को सुनने-देखने में दिलचस्पी है, उनके लिए इन दोनों ही गानों की जोरदार सिफारिश की जा सकती है।
पहले बात, सौं खेकि बोल गीत, जिसमें श्रद्धा कुहुप्रिया के साथ संकल्प खेतवाल की आवाज का जादू सिर चढ़कर बोलता है। इस गीत की सबसे बड़ी खासियत ये है कि यह एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी को हस्तांतरित हुआ गीत हैै। दरअसल, वर्ष 1991 में इस गीत को पहाड़ के मशहूर गायक संतोष खेतवाल और दुर्गा पांडेय ने गाया था। वो दौर कैसेट का था और उत्तरकाशी में अपनी पोस्टिंग के दौरान संतोष खेतवाल ने इसकी मधुर धुन तैयार की थी। फिर शास्त्रीय पृष्ठभूमि वाली गायिका दुर्गा पांडेय के साथ मिलकर उन्होंने इस गीत को गाया था।
यह अजब इत्तफाक है कि इन दोनों जोरदार कलाकारों की संतानें भी उतनी ही प्रतिभाशाली हैं। संतोष खेतवाल के बेटे संकल्प खेतवाल की गंभीर गायिकी परिचय का मोहताज नहीं है, तो दुर्गा पांडेय की बेटी श्रद्धा कुहुप्रिया की गायिकी में अंतर्निहित शास्त्रीय रंग और उनकी खनकती आवाज की बात ही कुछ अलग है। जब इस पुराने गीत को ये दोनों नए अंदाज में सामने लाए, तो हवा के एक ताजे झोंके सा अहसास हुआ। स्क्रीन पर इस गाने में श्रद्धा खुद नजर आई, लेकिन संकल्प के पाश्र्व गायन पर अभिनय करते तमन रतूड़ी दिखाई दिए। सौं खेकि बोल मेरी/कैथे खुज्याणीं रैंदीन आंखि तेरी जैसी लाइनें अविनाश विवेक की कलम से निकली थीं, जबकि आधुनिक मिजाज का कमाल का संगीत संयोजन हैदर अली ने किया था। गिटार, बांसुरी समेत कई अन्य वाद्य यंत्रों के खूबसूरत इस्तेमाल के लिए उनकी जितनी तारीफ की जाए, वो कम है।
अबकी बार श्रद्धा कुहुप्रिया लेकर आई हैं आस त्वै से मिलण की, जिसमें उनके साथ नियो फरस्वाण है। ये जोड़ी स्क्रीन पर भी साथ है। नियो फरस्वाण ने अपने हुनर के एक के बाद एक सुबूत दिए जा रहे हैं। इस गाने में धुन भी उन्होंने ही तैयार की है, इसे गाया भी है और स्क्रीन पर श्रद्धा केे साथ एक्टिंग भी की है। संगीत संयोजन एक बार फिर हैदर अली का है, जबकि प्रदीप फरस्वाण ने गाने में कई अच्छी लाइनें लिखी हैं।
कुल मिलाकर चाहे सौं हो या आस, दोनों ही गाने मेेरे नजरिये से खास हैं। इन गीतों का अंदाज भले ही नया हो, लेकिन प्यार-माया की अभिव्यक्ति का जो तरीका है, उसमें पहाड़ की शालीनता रची-बसी है। मैं कह सकता हंू कि जब आप एक अच्छे से मूूड में कुछ अच्छा देखना-सुनना चाहें, तो आपको इन गानों को जरूर सुनना चाहिए।

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