हिमाली हवा सुरूरू , बगन्या पानी तुरूरू…..पहाड़ पर यह ठंडी हवा का झोंका है

0

विपिन बनियाल
-हिमाली हवा सुरूरू/बगन्या पानी तुरूरू ……..ये गीत ऊचे पहाड़ पर हवा का ऐसा झोंका है, जो आपके तन-मन को ताजगी से भर देता है। इसे हम पहाड़ में बहते साफ निर्मल पानी की तरह भी देख सकते हैं, जो अपनेे हर रूप में मनभावन है। यानि जिसे देखें, तो अच्छा लगता है, जिसकी कल-कल सुने, तो और अच्छा लगता है। पंचाचूली देश गीत की तासीर ही ऐसी ही है, कि जितना देख लीजिए, सुन लीजिए, फिर भी कम ही कम है। नेपाल के सहयोग से तैयार यह खूबसूरत गीत गणेश मार्तोलिया का ब्रेन चाइल्ड है। चांदनी एंटरप्राइजेज और नवीन टोलिया के प्रयासों ने इसे आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण योगदान किया है।
इस गीत की सबसे बड़ी खासियत इसका पहाड़ीपन है। गणेश मारतोलिया और रूचि जंगपागी की आवाज का सुरीलापन कानों में मिश्री सा घोलता है। गणेश मार्तोलिया ने इसे लिखा भी है। हिमाली हवा सुरूरू/बगन्या पानी तुरूरू जैसे सामान्य शब्दों से शुरू करके वह बाद पहाड़ के गहरे दर्द को भी बाहर खींच लाए हैं। हिमाल हमरी जन्मभूमि/मरण होलो परदेशा या फिर एक और लाइन पर गौर करें। काली गंगा कल कल/गोरी गंगा छल/छूटी गयो घरबार/आंसू ढलकी ढल।
पंचाचूली गीत सुनने में जितना मधुर है, देखने में उतना ही सुंदर है। मधुरता और सुंदरता का यह शानदार मिलन है। इसके लिए इसके डायरेक्शन को सैल्यूट। बड़ा सैल्यूट, इसकी सिनेमेटोग्राफी के लिए भी है, जो पहाड़ के नैसर्गिक सौंदर्य को जस का तस सामने ले आई है। गाने में कोरियोग्राफी भी अच्छी है और कलाकारों ने दिल लगाकार काम किया है। देवेंद्र बबलू में पहाड़ की सादगी, तो करूणा श्रेष्ठा में पहाड़ की सुंदरता के प्रभावी दर्शन होते हैं।
पंचाकूली देश की सफलता में तमाम लोग हिस्सेदार हैं, लेकिन गणेश मार्तोलिया की एक खास जगह है। इस गीत को हर हाल में बेहतरीन बनाने के लिए उनके प्रयास उन्हें नेपाल तक ले गए हैं। इस गाने की रिकार्डिंग वहीं हुई है। बड़ी बात ये है कि गणेश मार्तोलिया इस गाने की धुन पर अपना दावा नहीं करते। मेरे धुन पहाड़ की यू-ट्यूब चैनल को दिए इंटरव्यू में गणेश मार्तोलिया ने गीत से जुड़ी तमाम जानकारी साझा कीं। वह कहते हैं-मुनस्यारी के जिस क्षेत्र से मैं आता हूं वहां की पारंपरिक लोक धुन बेहद समृद्ध है और मुझ पर उनका गहरा प्रभाव हैै। वह साफ करते हैं-मैं अपने क्षेत्र और नेपाल के संगीत को संतुलित रूप से अपनाकर कुछ नया करना चाहता। वह कहते हैं-मैं जिस क्षेत्र से ताल्लुक रखता हूं, उस पर विभिन्न कारणों से नेपाल का गहरा प्रभाव रहा है। इसलिए इस गीत में स्वाभाविक रूप से नेपाल का प्रभाव दिखता है। मगर यह नेपाली गाना कतई नहीं है। यदि आप इस गीत से संबंधित विस्तृत जानकारी देखने-सुनने के इच्छुक हैं, तो धुन पहाड़ की यू-ट्यूब चैनल पर क्लिक करें।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *