जीत की जिद से कामयाब, उत्तराखंड की उड़न परी, ट्रैक की रानी…अंकिता ध्यानी

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विपिन बनियाल

-वह उत्तराखंड की उड़न परी है। ट्रैक की सनसनी है। उत्तराखंड की शान है और देश की मजबूत उम्मीद भी। एथलीट अंकिता ध्यानी लगातार चमक रही हैं। 38 वें राष्ट्रीय खेलों में अंकिता का जलवा बिखरा है। वह ट्रैक पर ऐसे दौड़ी हैं, मानो जीत के लिए जिद पाले हो। दो स्वर्ण और एक रजत पदक। यह उपलब्धि अंकिता की सफलता की कहानी को खुद बयां कर रही है। अंकिता पहले उत्तराखंड की स्टार थी, लेकिन अब सुपर स्टार है। राष्ट्रीय खेलों में चमकदार प्रदर्शन से अंकिता व्यक्तिगत तौर पर तो आगे बढ़ी ही है, उत्तराखंड भी आगे बढ़ा है। उत्तराखंड पदक तालिका में यदि सातवें स्थान पर रहा है, तो तीन पदकों का अंकिता का योगदान अलग से रेखांकित करने लायक है।

38 वें राष्ट्रीय खेलों की मेजबानी जब उत्तराखंड को मिली, तो भव्य आयोजन के साथ ही एक सवाल और सामने था। यह सवाल खेलों में उत्तराखंड के प्रदर्शन से जुड़ा हुआ था। राष्ट्रीय खेलों में पिछले 25 वर्षों में उत्तराखंड बहुत बढ़िया प्रदर्शन नहीं कर पाया है। पदक तालिका में कभी टाॅप टेन में भी नहीं रहा। अपने घर में होने जा रहे राष्ट्रीय खेलों में उत्तराखंड की उम्मीद थी कि उसका प्रदर्शन सम्मानजनक हो। शानदार हो। ऐसे में जिन खिलाड़ियों पर उम्मीदें टिकी थीं, उनमें एक प्रमुख नाम अंकिता ध्यानी का भी था। वर्ष 2023 में गोवा में हुए 37 वें राष्ट्रीय खेलों में डेढ़ हजार मीटर की रेस में अंकिता ने कांस्य पदक जीता था। मगर इस बार घरेलू मैदान में अपेक्षाओं का दबाव अंकिता पर कई गुना ज्यादा था। अंकिता ने निराश नहीं किया। तीन स्पर्धाओं में अंकिता दौड़ीं और तीनों में ही पदक जीते। दोहरे स्वर्ण के अलावा एक रजत पदक अंकिता के गले का हार बना। सबसे महत्वपूर्ण बात तीन व पांच हजार मीटर रेस में स्वर्ण पदक जीतना रहा। मगर दस हजार मीटर रेस में रजत पदक की अहमियत भी कुछ कम नहीं रही। दरअसल, यह पहला मौका था, जबकि दस हजार मीटर की रेस में अंकिता ने भागीदारी की। अपने पहले ही प्रयास में इस रेस में रजत जीतकर अंकिता ने अपना खाता खोला और उसके बाद दोहरे स्वर्ण पदक की कहानी सबको पता ही है।
देखा जाए, तो अंकिता की सफलता की कहानी उन तमाम खिलाड़ियों, खास तौर पर लड़कियों के लिए प्रेरणादायी है, जो खेलों में आगे बढ़ना चाहते हैं, लेकिन जिनके आस-पास अनुकूल माहौल नहीं है। संसाधनों का रोना है। पौड़ी जिले के लैंसडौन क्षेत्र के मेरूडा गांव से निकली अंकिता भी इन्हीं स्थितियों को हराकर आगे बढ़ी हैं। फौज में भर्ती होने के लिए दौड़ का अभ्यास करने वाले लड़कों के साथ अंकिता भी गांव की पगडंड़ियों में खूब दौड़ी है। पहले जिला, फिर प्रदेश, फिर राष्ट्रीय और फिर अंतर्राष्ट्रीय स्पर्धाओं में दौड़कर अंकिता ने खेलों में जो मुकाम हासिल किया है, वह शानदार है। वर्ष 2023 में थाईलैंड में हुई एशियन एथलेटिक्स चैंपियनशिप में कांस्य पदक जीतने की उपलब्धि ने उसके लिए पेरिस ओलंपिक में जाने का रास्ता बनाया। यह अलग बात है कि पेरिस ओलंपिक में अंकिता का प्रदर्शन अच्छा नहीं रहा, मगर देश का प्रतिनिधित्व करने से जो खुशी हासिल हुई, वह कभी ना भूलने वाली है।
राष्ट्रीय खेलों में डंका बजाकर अंकिता एक बार फिर से तैयारियों में जुट गई है और पहुंच गई है सीधे यूएसए। जाहिर तौर पर अंकिता ध्यानी से देश की उम्मीदें अब औैर बढ़ गई है। इसी वर्ष टोक्यो में प्रस्तावित विश्व एथलेटिक्स चैंपियनशिप में अंकिता का पहला बड़ा इम्तिहान है। इसी वर्ष एशियन एथलेटिक्स चैंपियनशिप भी ही। इसके बाद, वर्ष 2028 में लांस एजेंलिस में होने वाले ओलंपिक तो सबसे बड़ा लक्ष्य है ही। अंकिता कहती हैं-हर स्पर्धा में देश के लिए बेहतर प्रदर्शन करना उनका लक्ष्य है। हालांकि अंतर्राष्ट्रीय स्तर की स्पर्धाओं में कंपटीशन का लेवल बहुत हाई होता है। फिर भी नामुमकिन कुछ नहीं है। अपने दमदार प्रदर्शन से अंकिता ने उत्तराखंड और देश का भरोसा जीता है। अंतर्राष्ट्रीय स्पर्धाओं में भी वह भारत का परचम बुलंद करेंगी, ये उम्मीद की जा सकती है। फिलहाल तो उत्तराखंड अपनी इस बेटी से यही कह रहा है-कीप इट अंकिता।

राष्ट्रीय खेलों में अंकिता का ट्रैक रिकॉर्ड

5000
मीटर रेस अंकिता ने 15 मिनट 56.03 सेकेंड में पूरी की और स्वर्ण पदक जीता।

3000
मीटर स्टीपलचेज रेस में अंकिता ने 9 मिनट 53.63 सेकेंड का समय लिया और स्वर्ण पदक जीता।

10000
मीटर रेस में अंकिता ने 34 मिनट 31.03 सेकेंड का समय लिया और रजत पदक हासिल किया।

‘राष्ट्रीय खेलों में अपने प्रदर्शन से मै संतुष्ट हूं। अपने घर उत्तराखंड में दो स्वर्ण और एक रजत जीतने से अच्छा और क्या हो सकता है। मगर मै ये भी जानती हूं कि अंतर्राष्ट्रीय स्पर्धाओं में जीतने के लिए अभी कई गुना ज्यादा मेहनत करनी पड़ेगी। मै भरपूर मेहनत कर रही हूं। दो अंतर्राष्ट्रीय स्तर की स्पर्धाएं इसी वर्ष हैं। उसकी तैयारी के लिए आज कल यूएसए में हूं। इसके बाद, 2028 के ओलंपिक के लिए मेहनत करूंगी’
– अंकिता ध्यानी, भारतीय एथलीट।

(साभार-अतुल्य उत्तराखंड पत्रिका)

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