समाज की तमाम अव्यवस्थाओं के लिए पश्चिम दर्शन जिम्मेदार, अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी में बोले केंद्रीय राज्य मंत्री दुर्गा दास उईके

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उदंकार न्यूज
हरिद्वार|
सनातन संस्कृति पर दो दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी के समापन पर केंद्रीय जनजातीय राज्य मंत्री दुर्गा दास उईके ने कहा कि समाज में व्याप्त तमाम अव्यवस्थाओं के लिए पश्चिमी संस्कृति का दर्शन जिम्मेदार है। उन्होंने कहा कि पश्चिमी कूड़ा करकट सर माथे पर लगाने की प्रवृत्ति ने भारतीय संस्कृति के ताने बाने को बुरी तरह प्रभावित कर दिया है। ऐसे में सुधार के लिए सनातन संस्कृति की ओर देखने की आवश्यकता है।
संगोष्ठी का आयोजन देवभूमि विकास संस्थान और देव संस्कृति विश्वविद्यालय की ओर से किया गया। समापन कार्यक्रम में मुख्य अतिथि केंद्रीय राज्य मंत्री ने कहा कि सनातन संस्कृति अदभुत है, जो हमें जीवन के असल उद्देश्य से परिचित कराती है। उन्होंने कहा कि पाश्चात्य संस्कृति से हमें भोगी दृष्टि मिली है। इसने हमारे व्यक्तित्व में दोहरापन ला दिया है। इससे पतन हो रहा है। उन्होंने गायत्री परिवार से अपने संबंधों का जिक्र करते हुए सनातन संस्कृति के प्रसार में उसके योगदान की विशेष चर्चा की।
देव संस्कृति विश्व विद्यालय के प्रति कुलपति डॉ चिन्मय पंड्या ने अपने संबोधन में कहा कि भारत एक देश का नहीं, बल्कि संस्कृति का नाम है। दुनिया के तमाम देशों में सनातन संस्कृति के आज भी चिन्ह मौजूद हैं। भारत की भूमि मानव को मानव बनाने वाली भूमि है। अन्य देशों का इतिहास बर्बरता का रहा है, जबकि भारत के इतिहास करुणा, परोपकार का है।कार्यक्रम में अखिल भारतीय स्वयंसेवक संघ के पर्यावरण कार्यक्रम के संयोजक गोपाल आर्य और हरिद्वार सांसद त्रिवेंद्र सिंह रावत ने भी विशेष रूप से अपने विचार साझा किए। कार्यक्रम के अंत में सभी वक्ताओं ने एक स्वर में यह संदेश दिया कि पर्यावरण संरक्षण केवल सरकारी योजनाओं से नहीं होगा, जब तक आम नागरिक अपनी जीवनशैली और सोच में बदलाव नहीं लाते। प्रकृति के साथ सह-अस्तित्व ही टिकाऊ विकास की कुंजी है।

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