अलविदा ! 2023ः दिग्गजों ने देवभूूमि कोे शीश नवाया, दुनिया तक संदेश पहुंचाया

उदंकार न्यूज
-भारतीय राजनीति के शिखर पर पहुंची भाजपा की सफलता के पीछे उसके हिन्दुत्व के एजेंडे की भूमिका जगजाहिर है। अपने इस एजेंडे पर भाजपा पूरी मजबूती से कायम है। यह हिन्दुत्व के एजेंडे का ही प्रभाव है कि पिछले कुछ वर्षों से कांग्रेस भाजपा को इस मुद्दे पर जवाब देने के लिए नरम हिन्दुत्व का संदेश देने की कोशिश करती रही है। बीत रहे वर्ष 2023 में उत्तराखंड की पृष्ठभूमि में दोनों ही दलों ने अपने-अपने एजेंडे पर आगे बढ़ते हुए देश-दुनिया तक संदेश पहुंचाने की कोशिश की है। इस कार्य के लिए भाजपा के दिग्गज नरेंद्र मोदी हो या कांग्रेस के राहुल गांधी, दोनोें ने ही इस वर्ष उत्तराखंड का रूख किया और आस्था के केंद्रोें में मत्था टेक
22 जनवरी 2024 को अयोध्या में प्रस्तावित श्रीराम जन्मभूमि मंदिर के लोकार्पण कार्यक्रम की रोशनी में भाजपा पूरे वर्ष हिन्दुत्व के मुद्दे पर आगे बढ़ती रही। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान केदारनाथ आना खूब चर्चित रहा था। इस बार 12 अक्टूबर को मोदी पिथौरागढ़ पहुंचे और उन्होंने कैलाश व्यूू प्वाइंट से आदि कैलाश के दर्शन किए। आदि कैलाश के दर्शन के लिए चीन के कब्जे वाले तिब्बत से होकर मानसरोवर यात्रा गुजरती है, लेकिन मोदी की इस यात्रा के बाद भारत भूमि से ही आदि कैलाश के दर्शन की नई शुरूआत हुई है। मोदी की इस यात्रा का न सिर्फ धार्मिक महत्व रहा, बल्कि सामरिक लिहाज से भी इसको बेहद महत्वपूर्ण माना गया। आदि कैलाश के दर्शन के वक्त मोदी के पूर्ण धार्मिक रूप ने उनकी कट्टर सनानती छवि को ही मजबूत किया। पूरे देश में मोदी के इस रूप और यात्रा की चर्चा हुई। न सिर्फ मोदी, बल्कि भाजपा के फायरब्रांड नेता योगी आदित्यनाथ ने भी उत्तराखंड का रूख किया आौर केदारनाथ धाम पहुंचकर पूजा-अर्चना की।
अब बात कांग्रेस और राहुल गांधी की कर लेते हैं। इस वर्ष नवंबर के पहले सप्ताह में राहुल गांधी केदारनाथ पहुंचे। उनकी इस यात्रा को उनकी निजी यात्रा बताया गया और तीन दिन तक वह केदारपुरी में रहे। इस दौरान उन्होंने केदारनाथ मंदिर में पूजा अर्चना की। शिवभक्तों को चाय पिलाकर भी वह सुर्खियों में आए। इसके अलावा, हिमालय के बारे में विशेषज्ञों से बातचीत करके भी उन्होंने सुर्खियां बटोरी। निजी बताते हुए भी राहुल गांधी के इस कार्यक्रम के सियासी मायनों को खूब समझा गया। नरम हिन्दुत्व का संदेश देने के लिए राहुल गांधी ने केदारनाथ धाम को चुना। इससे पहले भी, केदारनाथ आपदा के बाद राहुल गांधी केदारपुरी पहुंचे थे। तब उन्होंने गौरीकुंड से केदारनाथ तक की पैदल यात्रा की थी। वर्ष 2024 में प्रस्तावित लोकसभा चुनाव से पहले मोदी-राहुल के उत्तराखंड प्रवास को उनकी चुनावी तैयारियों से जोड़कर भी देखा गया।