चुनाव और अतीत के पन्ने: खंडूरी नहीं जानते थे कि योगी हैं उनके कार्यकर्ता

-91 के चुनाव में गुमनाम रहते हुए योगी ने किया था काम
-उस वक्त कोटद्वार मेें पढ़ाई कर रहे थे योगी आदित्यनाथ
उदंकार न्यूज
-प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बाद जिस भाजपा स्टार प्रचारक की चुनाव में सबसे ज्यादा मांग रहती है, वह योगी आदित्यनाथ है। मगर उनसे जुड़ा दिलचस्प वाक्या वर्ष 1991 के चुनाव का है। यह वो दौर था, जबकि योगी आदित्यनाथ कोटद्वार के राजकीय महाविद्यालय में पढ़ाई कर रहे थे। अखिल भारतीय विद्याथी परिषद से जुडे़ थे, लेकिन कोई दायित्व नहीं था। सामान्य कार्यकर्ता बतौर काम करते थे। इन स्थितियों के बीच, वर्ष 1991 का लोकसभा चुनाव आ गया। राम लहर पूरे देश में चल रही थी। गढ़वाल लोकसभा सीट पर भाजपा ने सेना से रिटायर्ड मेजर जनरल भुवन चंद्र खंडूरी को प्रत्याशी बनाया। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद की पूरी टीम भी भाजपा के लिए जुटी। योगी आदित्यनाथ, जिन्हें उस वक्त अजय बिष्ट के नाम से जाना जाता था, ने भी अपने स्तर से प्रचार कार्य किया। भाजपा के पोस्टर चस्पा किए, दीवार लेखन किया और चुनावी कार्यक्रमों में हिस्सा लिया।भाजपा प्रत्याशी भुवन चंद्र खंडूरी चूंकि राजनीति में नए-नए आए थे, तो जाहिर तौर पर उनका भाजपा के लोगों से ही सीमित परिचय था। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद में उस वक्त अहम पदों पर काबिज पूर्व मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत और मौजूदा शिक्षा व स्वास्थ्य मंत्री डा धन सिंह रावत को वह जरूर जानते थे, जिन्होंने भाजपा के लिए उस दौर में खूब काम किया। खंडूरी लंबे समय तक इस बात से अनजान रहे कि योगी ने उनकेे लिए वर्ष 1991 के चुनाव में एक कार्यकर्ता की हैसियत से काम किया। योगी जैसे तमाम कार्यकर्ताओं की मेहनत का मीठा फल भाजपा को जरूर मिला, जबकि उसके प्रत्याशी भुवन चंद्र खंडूरी ने कांग्र्रेस प्रत्याशी सतपाल महाराज को आसानी से हरा दिया। पहली बार गढ़वाल लोकसभा सीट पर भाजपा का परचम लहराया।
