धामी सरकार के बजट में मोदी मंत्र का प्रभाव, ठोस संदेश देने की कोशिश

-चुनाव की दहलीज पर गरीब, किसान, युवा, महिला कल्याण का संदेश
-समान नागरिक संहिता बिल की बजट भाषण में चर्चा के खास मायने
उदंकार न्यूज
-लोकसभा चुनाव की दहलीज पर धामी सरकार का बजट मोदी मंत्र के प्रभाव से ओत-प्रोत है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी अपने संबोधन में गरीब, किसान, युवा और महिलाओं से संबंधित जिन चार जातियों का जिक्र करते हैं, धामी सरकार ने बजट के उनके हितों को छूने की कोशिश की है। इन चार जातियों क कल्याण के संदेश को और प्रभावी ढंग से आगे ले जाने की सरकार तब भी कोशिश करेगी, जबकि सदन में विभागवार बजट पर चर्चा होगी।
धामी सरकार का बजट सोमवार को ऐसे समय में पेश किया गया है, जबकि लोकसभा चुनाव के लिए माहौल पूरी तरह से तैयार है। मार्च के पहले या दूसरे सप्ताह में चुनाव आचार संहिता प्रभावी होने की संभावना है। उत्तराखंड की पांच लोकसभा सीटों को पिछले दो चुनाव से भाजपा लगातार जीत रही है। जीत की हैट्रिक लगाने के लिए भाजपा की सरकार और संगठन कमर कसे हुए हैं। इन स्थितियों के बीच, मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के वित मंत्री प्रेम चंद्र अग्रवाल ने सदन में 89,230 करोड़ का बजट पेश किया है। बजट को घाटा रहित बताया गया है और 4737 करोड़ रूपये के राजस्व सरप्लस की बात कही गई है।
बजट पेश करते हुए जिस तरह से धामी सरकार ने समान नागरिक संहिता बिल और उसमें भी महिलाओं की बेहतर स्थिति की आशा को सामने रखा है, वो स्पष्ट करता है कि आधी आबादी से भाजपा को सबसे ज्यादा उम्मीद है। भाजपा को पहले से ही महिलाओं के जबरदस्त वोट प्राप्त हो रहे हैं। बजट में महिलाओं के कल्याण से जुड़ी विभिन्न योजनाओं के संबंध में महिला कल्याण विभाग के लिए 574 करोड़ के बजट का प्रावधान किया गया है। इसमें नंदा गौरा, मुख्यमंत्री महालक्ष्मी, मुख्यमत्री बाल पोषण, मुख्यमंत्री वात्सल्य, मुख्यमंत्री महिला पोषण और गंगा गाय महिला डेरी विकास जैसी योजनाओं को लिया गया है। गरीब कल्याण के लिए समाज कल्याण विभाग के बजट में 5658 करोड़ के बजट का प्रावधान किया गया है। इसी तरह, युवाओं की विभिन्न योजनाओं के लिए सरकार ने 534 करोड़ का प्रावधान सुनिश्चित किया है। सरकार ने किसानों की विभिन्न योजनाओं के लिए उनसे संबंधित कृषि, उ़द्यान व पशुपालन विभाग के बजट में 2415 करोड़ का प्रावधान किया है। कुल मिलाकर धामी सरकार ने अपने बजट के जरिये उन चार जातियों के कल्याण के प्रति अपनी संकल्पबद्धता प्रदर्शित करने की कोशिश की है, जिन्हें खुद नरेन्द्र मोदी ने चिन्हित किया है।