डंपिंग जोन पर तय की समयसीमा, एक सप्ताह में भूमि तलाशें डीएम

उदंकार न्यूज
डंपिंग जोन के अभाव में मलबे से पैदा हो रही समस्याओं पर शासन का ध्यान गया है। जिलाधिकारियों को मुख्य सचिव श्रीमती राधा रतूड़ी ने साफ शब्दों में कह दिया है कि वह एक सप्ताह में डंपिंग जोन के लिए भूमि तलाश लें। राजस्व भूमि यदि उपलब्ध नहीं हो, तो वन भूमि चिन्हित करें, लेकिन इस मामले में देरी न की जाए।
दरअसल, मानसून के दौरान तमाम जगहों पर मलबे के ढेर परेशानी का सबब बन रहे हैं। इसके अलावा नेशनल हाईवे के निर्माण के दौरान भी काफी मात्रा में मलबा निकल रहा है। इनके निस्तारण के लिए समुचित डंपिंग जोन का अभाव है। कार्यदायी संस्था जैसे-तैसे मलबे का निस्तारण कर तो रही हैं, लेकिन बात बन नहीं पा रही है। इन स्थितियों के बीच, विभागीय अफसरों के साथ बैठक में मुख्य सचिव श्रीमती राधा रतूड़ी ने इस संबंध में विस्तार से चर्चा की और जरूरी निर्देश जारी किए। मुख्य सचिव ने कहा कि भूमि चिन्हित कर एक सप्ताह में शासन को प्रस्ताव भेजा जाना सुनिश्चित किया जाए।
मुख्य सचिव ने डंपिंग से संबन्धित एजेंसियों को निर्धारित मक डम्पिंग जोन में ही मलबे के निस्तारण के नियमों को सख्ती से पालन करने के निर्देश दिए। उन्होंने नियमों की अवहेलना करने वाली एजेंसियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई के लिए अफसरों को कहा। मुख्य सचिव ने लोक निर्माण विभाग, बीआरओ तथा एनएचआईडीसीएल के अधीन विभिन्न राष्ट्रीय राजमार्गो में निर्माण के दौरान उत्सर्जित मलबे के निस्तारण हेतु पूर्व में चिन्हित मक डम्पिंग जोन के भर जाने की दशा में उनके विस्तार की संभावनाओं के अध्ययन के निर्देश भी दिए।
मुख्य सचिव ने जिलाधिकारियों को चिहिन्त मक डंपिंग स्थलों पर मलबे के जमा के होने के बाद उसके उपयोग को लेकर कार्ययोजना बनाने के निर्देश दिए। उन्होंने ऐसे डंपिंग स्थलों पर ग्रीन पैच विकसित करते हुए बांस के पौधारोपण के निर्देश दिए। उन्हांेेने मक डंपिंग जोन की आवश्यकता के संबंध में लोक निर्माण विभाग, बीआरओ तथा एनएचआईडीसीएल के अफसरों को जिलाधिकारियों के साथ समन्वय बनाने के लिए कहा। डंपिंग से संबंधित कार्यदायी संस्थाओं ने उत्तराखंड में अगले पांच वर्षों की आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए कुल 81.99 हेक्टेयर भूमि की मांग रखी गई है। इसमें वर्तमान में 55.69 हेक्टेयर भूमि तथा अगले पांच वर्षों में 26.30 हेक्टेयर भूमि शामिल है। बैठक में सचिव पंकज कुमार पांडेय सहित लोक निर्माण विभाग, बीआरओ, एनएचआईडीसीएल एवं अन्य सम्बन्धित विभागों के अधिकारी तथा जिलाधिकारी रूद्रप्रयाग, चमोली, उत्तरकाशी, पिथौरागढ़, टिहरी मौजूद रहे।