लोक कलाकारों ने कहा-देवभूमि का मान, राष्ट्रीय खेलों से बढे़गी शान

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उदंकार न्यूज
देहरादून।
प्यारी जन्मभूमि मेरो पहाड़/गंगा जमुना यख/बद्री केदार (प्यारी जन्मभूमि मेरा पहाड़, गंगा यमुना यहां हैं, बद्रीनाथ केदारनाथ यहां हैं)। उत्तराखंडी फिल्म तेरी सौं के इस गीत की कुछ पंक्तियों के साथ डा संजय पांडे और डा लता पांडेय राष्ट्रीय खेलों पर अपनी बात शुरू करते हैं। वह कहते हैं-यह केवल खेलों का उत्सव नहीं, बल्कि उत्तराखंड की अद्भुत प्राकृतिक संुदरता, समृद्ध संस्कृति और अतुल्य परंपराओं को अनुभव करने का अवसर भी है।
लोक संगीत में पूरी तरह से डूबे यह दंपत्ति वर्ष 2022-23 का संगीत नाटक अकादमी का उस्ताद बिस्मिल्लाह खां युवा पुरस्कार जीत चुके हैं। पांडेय दंपत्ति का कहना है-देवभूमि उत्तराखंड राष्ट्रीय खेलों की मेजबानी कर रहा है, यह क्षण हम सबके लिए गर्व का क्षण है। सिर्फ पांडेय दंपत्ति ही नहीं, बल्कि उत्तराखंड के जाने-माने अन्य लोक कलाकार भी देवभूमि के मान को राष्ट्रीय खेलों से जोड़कर अपने उत्साह का प्रदर्शन कर रहे हैं।
प्यारी जन्मभूमि गीत लिखने वाले मदनमोहन डुकलान डुकलान का कहना है-यह आयोजन हमारी लोक संस्कृति से देश-दुनिया को परिचित कराएगा। सचमुच, गर्व करने का अवसर है। मिलती-जुलती राय आलोक मलासी की है, जिन्होंने प्यारी जन्मभूमि गीत की धुन तैयार की है और इसे गाया है। मलासी कहते हैं-हम सब इस आयोजन से गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं।

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