हरिद्वार लोस सीटः सरपट दौड़ रही भाजपा, विपक्ष की दौड़ शुरू नहीं

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-भाजपा प्रत्याशी त्रिवेंद्र सिंह रावत ने नाप लिए हैं कई इलाके
-कांग्रेस और बसपा का अभी प्रत्याशी ही तय नहीं हो पाए हैं
उदंकार न्यूज
-उत्तराखंड की प्रतिष्ठित हरिद्वार लोकसभा सीट पर चुनावी दौड़ में भाजपा अकेले ही सरपट दौड़ रही है। पार्टी के प्रत्याशी पूर्व मुख्यमंत्री ने उनके नाम का ऐलान होने के बाद एक सप्ताह में कई इलाके नाप लिए हैं। विपक्ष का आलम ये है कि उसकी दौड़ अभी शुरू ही नहीं हो पाई है। प्रत्याशियों के नामों के ऐलान में देरी से कार्यकर्ताओं में मायूसी दिख रही है।
हरिद्वार लोकसभा सीट को भाजपा के वर्चस्व वाली सीट माना जाता है। पिछले दो लोकसभा चुनाव से भाजपा यहां पर अजेय है। हालांकि इस सीट पर कांग्रेस ही नहीं, बल्कि सपा भी पूर्व में जीत दर्ज कर चुकी है। मगर मौजूदा स्थिति में भाजपा का संगठन यहां पर सबसे ज्यादा मजबूत स्थिति में है। दो बार के सांसद और पूर्व मुख्यमंत्री डा रमेश पोखरियाल निशंक की जगह इस बार पार्टी ने पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत पर दांव खेला है। पूर्व मुख्यमंत्री होने के अलावा त्रिवेंद्र सिंह रावत पूर्व में भाजपा के संगठन मंत्री भी रह चुके हैं। इसके अलावा, हरिद्वार लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत शामिल डोईवाला विधानसभा क्षेत्र उनका गढ़ माना जाता रहा है। इसलिए हरिद्वार लोकसभा क्षेत्र में एक से दूसरे स्थान तक पहुंचने और कार्यकर्ताओं से सीधे संवाद बनाने में उन्हें कोई दिक्कत नहीं हो रही है। हरिद्वार सीट पर त्रिवेंद्र सिंह रावत के नाम का ऐलान 13 मार्च को हुआ था। इसके बाद से त्रिवेंद्र सिंह रावत हर दिन क्षेत्र में सक्रिय हैं। उनका हरिद्वार के अलग-अलग इलाकों में कई बार जाना हो चुका है और साधु-संतों से भी वह भेंट कर चुके हैं। विधानसभा वार चुनाव कार्यालय खोलने की शुरूआत वह धर्मपुर विधानसभा क्षेत्र से कर चुके हैं।
इस सीट पर चुनाव लड़ने की जैसी स्थिति भाजपा की दिख रही है, कांग्रेस और बसपा की स्थिति इससे एकदम उलट है। प्रत्याशी के नाम पर हो रहे लगातार विलंब से कार्यकर्ताओं का मनोबल टूूट सा रहा है। इस सीट पर पार्टी के दिग्गज हरीश रावत, डा हरक सिंह रावत, करण माहरा समेत खानपुर के निर्दलीय विधायक उमेश कुमार के दबाव के कारण अजब सी स्थिति पैदा हो गई है। हरीश रावत खुद चुनाव नहीं लड़ना चाहते, बल्कि अपने बेटे विरेंद्र रावत के लिए टिकट चाहते हैं। पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष करण माहरा का नाम भी उछल रहा है, जो कि हरीश रावत को प्रत्याशी देखना चाहते हैं। इन स्थितियों के बीच, पूर्व मंत्री डा हरक सिंह रावत हैं, जिनकी भाजपा में वापसी की मीडिया में तैरती खबरों के बीच इस सीट पर दमदार दावेदारी है। पार्टी पर दबाव निर्दलीय विधायक उमेश कुमार का भी माना जा रहा है, जिनकी पार्टी प्रभारी शैलेजा से मुलाकात के बाद कांग्रेस में शामिल होने और चुनाव लड़ने की खबरें जोर पकड़ रही है। हालांकि हरीश रावत उनका रास्ता रोके हुए हैं। हरीश रावत के साथ उनकी अदावत पुरानी है। 2016 में हरीश रावत का स्टिंग कर कांग्रेस की पूरी सरकार को ही डांवाडोल कर देने वाले उमेश कुमार के प्रति कांग्रेस के एक वर्ग का नरम रूख है। इस सीट पर बेहद उलझे कांग्रेस के अंदरूनी समीकरणों के बीच कहा जा रहा है कि दिल्ली में प्रत्याशी का चेहरा लगभग चुन लिया गया है और जल्द ही उसके नाम की घोषणा कर दी जाएगी। हालांकि यह भी सच्चाई है कि प्र्रत्याशी चयन में हो रही देरी पार्टी पर आने वाले दिनों में भारी पड़ सकती है।
हरिद्वार सीट पूर्व में एक बार सपा के खाते में भी जा चुकी है, हालांकि इंडिया गठबंधन में शामिल होने के कारण सपा की इस सीट पर दावेदारी नहीं उभर रही है। बसपा जरूर अपने प्रत्याशी के चयन में व्यस्त है। हरिद्वार संसदीय क्षेत्र के अंतर्गत शामिल 11 विधानसभा क्षेत्रों में से कुछ पर बसपा का काफी जनाधार माना जाता है। वर्ष 2022 के विधानसभा चुनाव में लक्सर और मंगलौर सीट से बसपा के प्रत्याशी जीत कर विधानसभा पहुंचे थे। इसी तरह, भगवानपुर और खानपुर जैसी विधानसभा सीटों पर भी बसपा दमदारी से चुनाव लड़ती रही है। इन स्थितियों के बीच, बसपा हरिद्वार में मजबूत प्रत्याशी मैदान में उतारने के इच्छुक है, लेकिन इसमें कांग्रेस की तरह ही वह भी लगातार देरी कर रही है। कांग्रेस की तरह ही, बसपा के कार्यकर्ता भी इस देरी से मायूसी में हैं। हालांकि कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष करण माहरा और बसपा के प्रदेश अध्यक्ष चौधरी शीशपाल का कहना है कि जल्द ही प्रत्याशी के नाम का ऐलान हो जाएगा।

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